म्यांमार में सीमा के पास दो भारतीयों की गोली मार कर हत्या, इलाके में तनाव
जिन दो लोगों की जान गई है उनकी पहचान 28 वर्षी पी मोहन और 35 वर्षीय एम अय्यनर के रूप में हुई है। आरोप है कि इनकी हत्या प्यू शॉ ती (Pyu Shaw Htee) ने मंगलवार को दोपहर एक बजे के आस-पास कर दी थी। उल्लेखनीय है कि प्यू शॉ ती म्यांमार की सेना की ओर से गठित किया गया एक बल है।

म्यांमार के तमू इलाके में तमिल मूल के दो नागरिकों की गोली मार कर हत्या कर दिए जाने की खबर सामने आई है। यह स्थान भारत के राज्य मणिपुर के साथ सीमा पर स्थित है। हालांकि अभी इस घटना को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पाई है। म्यांमार की मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आई इस घटना की भारतीय अधिकारी पुष्टि करने की कोशिश कर रहे हैं।
मणिपुर के तेंगनूपाल जिले के पुलिस अधीक्षक बी गो लियानमांग ने कहा कि फिलहाल तो हम न इस बात की पुष्टि कर सकते हैं और न ही इसे खारिज कर सकते हैं। यह जिला म्यांमार के साथ सीमा पर स्थित है। पुलिस अधीक्षक ने आगे कहा कि हमें मंगलवार देर रात ऐसा रिपोर्ट मिली थी और पुष्टि के लिए हम पड़ोसी देश के साथ अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। बुधवार तक हमें सभी जानकारियां प्राप्त होने की उम्मीद है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जिन दो लोगों की जान गई है उनकी पहचान 28 वर्षी पी मोहन और 35 वर्षीय एम अय्यनर के रूप में हुई है। बता दें कि भारत और म्यांमार के बीच संधि के तहत दोनों देशों के नागरिक रोजाना एक-दूसरे की सीमा में 16 किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं। लेकिन उनके लिए दोपहर बाद चार बजे तक अपनी सीमा में लौटना जरूरी होता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दोनों युवक मणिपुर के मोरेह शहर में रहते थे। कथित तौर पर इनकी हत्या प्यू शॉ ती (Pyu Shaw Htee) ने मंगलवार को दोपहर एक बजे के आस-पास कर दी थी। उल्लेखनीय है कि प्यू शॉ ती म्यांमार की सेना की ओर से गठित किया गया एक बल है। घटना के बाद मोरेह में तनाव की स्थिति बन गई है और शहर में सभी दुकानें बंद रहीं।
जानकारी के मुताबिक मोहन ऑटोरिक्शा चालक था और अय्यनर व्यापारी था। मोहन की कुछ महीने पहले ही शादी हुई थी। जहां पर दोनों की हत्या हुई वह जगह मोरेह में भारत-म्यांमार सीमा के गेट से सगभग चार किलोमीटर दूर है। बता दें कि मोरेह की आबादी लगभग 50,000 है। इवमें कूकी, तमिल, मेती, पंजाबी, मारवाड़ी और बंगाली आदि समुदायों के लोग शामिल हैं। इनमें सबसे बड़ा समूह तमिल मूल के आप्रवासियों का है।