भारतीय संस्कृति पर अध्ययन के लिए अमेरिकी छात्रों की सहायता करेगी यह यूनिवर्सिटी
एसपीपीयू इंटरनेशनल सेंटर के निदेशक विजय खरे ने कहा कि इस समझौते के तहत छात्रों को संस्थान के जरिए स्पॉन्सर किया जाएगा और इसका खर्च एआईआईएस वहन करेगी। इससे पहले एसपीपीयू ने ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के साथ प्रशिक्षण और शोध के लिए एक अकादमी का गठन किया था।

भारत के महाराष्ट्र में स्थित सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी (SPPU) ने द अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन स्टडीज (AIIS) के साथ एक समझौता किया है। एआईआईएस पुणे यूनिवर्सिटी का अंतरराष्ट्रीय केंद्र है। इस समझौते से न केवल अफ्रीका और अफगानिस्तान के बल्कि अमेरिका के छात्र भी भारतीय संस्कृति, भाषा और नागरिक जीवन का अध्ययन करने में सक्षम होंगे। इससे भारत में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
इस समझौते पर बुधवार को यूनिवर्सिटी में हस्ताक्षर किए गए थे। इस महत्वपूर्ण अवसर पर एसपीपीयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर नितिन करमलकर, प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर एनएस उमरानी, रजिस्ट्री प्रफुल्ल पवार, इंटरनेशनल सेंटर के निदेशक विजय खरे और एआईआईएस के निदेशक अनिल ईनामदार मौजूद रहे।

एसपीपीयू इंटरनेशनल सेंटर के निदेशक विजय खरे ने कहा कि इस समझौते के तहत छात्रों को संस्थान के जरिए स्पॉन्सर किया जाएगा और इसका खर्च एआईआईएस वहन करेगी। इसके अलावा छात्रों को संबद्धता शुल्क (एफिलिएशन फीस), यात्रा व्यय और अन्य सभी सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि छात्रों के रहने का पूरा खर्च भी संगठन की ओर से उठाया जाएगा। इससे छात्रों को आवश्यक मदद मिल सकेगी।
खरे ने कहा कि पश्चिमी देशों के छात्रों को भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों का रुख करना चाहिए। इससे भारतीय संस्कृति को पूरी दुनिया तक पहुंचने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे में इस तरह का समझौता बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जो यूनिवर्सिटी ने तैयार किया है। उन्होंने कहा कि भारत अपने ज्ञान के लिए प्राचीन काल से ही जाना जाता रहा है। हमें फिर से उस सम्मानजनक स्थिति को प्राप्त करने पर काम करना होगा।
इससे पहले एसपीपीयू ने ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के साथ प्रशिक्षण और शोध के लिए एक अकादमी का गठन किया था। इस अकादमी के जरिए इन दोनों यूनिवर्सिटी के शिक्षक और छात्र प्रशिक्षण और शोध कार्यों के लिए एक-दूसरे के परिसरों में जा सकेंगे। इसके तहत संयुक्त परियोजनाओं पर भी काम शुरू किए जाने की योजना भी बनाई गई है। इस अकादमी की शुरुआत को बहुत महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।