भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. श्रीराम का खुलासा, ऐसे हो पाएगा कोरोना का अंत
डॉ. श्रीराम सुब्रमण्यम का कहना है कि इस स्पाइक प्रोटीन की आणविक संरचना को समझना बहुत ही अहम है। यही से हमें इस महामारी के खिलाफ बहुत बड़ा हथियार मिल सकता है। डॉ. श्रीराम के मुताबिक इससे हमें भविष्य में ओमिक्रॉन और कोरोना के अन्य नए रूपों के खिलाफ अधिक प्रभावी उपचार विकसित करने में मदद मिलेगी।
दुनियाभर में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट ने दहशत पैदा की हुई है। ऐसे में दुनिया के तमाम वैज्ञानिक इसका तोड़ ढूंढने में लगे हैं। वैज्ञानिकों के बीच अहम सवाल ये है कि उपचार का ऐसा क्या तरीका हो सकता है जो वायरस के संक्रमित करने की प्रक्रिया को ही बाधित कर दे और इसे पूरी तरह से बेअसर कर दे।
क्या जिस तरह 1918 में आई फ्लू महामारी आज केवल सर्दी-खांसी वाला वायरस बनकर रह गई है, ऐसा कोरोना के साथ भी हो सकता है? इसी कड़ी में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय (यूबीसी) के शोधकर्ताओं ने ओमिक्रॉन वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन की आणविक संरचना तैयार की है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे कोरोना के खिलाफ जंग में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। इस टीम में भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. श्रीराम सुब्रमण्यम भी शामिल हैं।