भारतीय-अमेरिकी जोड़े ने अपने समलैंगिक विवाह पर दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण क्यों ली?
मेहता ओबामा प्रशासन में यूएससर्जन जनरल विवेक मूर्ति के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ और वरिष्ठ सलाहकार थे। वह वैभव जैन से साल 2012 में वाशिंगटन डीसी में पहली बार मिले थे। इस मुलाकात के पांच साल बाद डीसी सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स न्यायाधीश श्रीनिवासन द्वारा संचालित एक कानूनी समारोह में उन्होंने शादी की थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय एक भारतीय अमेरिकी जोड़े की मिसाल कायम करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा जो चाहता है कि भारत और उसका विदेश मंत्रालय उनके समलैंगिक विवाह को मान्यता दे। जेपी मॉर्गन चेस पॉलिसी सेंटर के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष पराग मेहता और एएपीआई विक्ट्री फंड में आउटरीच और एंगेजमेंट के वरिष्ठ सलाहकार वैभव जैन की याचिका को भारत की अदालत पिछली सुनवाई में चार बार देरी पहले ही कर चुकी है। यह याचिका एक बार फिर 31 मार्च को डाली गई है।
इंडियन स्टार ने पराग मेहता और वैभव जैन से खास बातचीत की। मेहता ने बताया कि न्याय में देरी न्याय से वंचित करना होता है। लोकतंत्र होने के बावजूद हम यह नहीं कह सकते कि हम सभी एक समान हैं। दरअसल हम जैसे कई लोगों को कानून के तहत मिलने वाले समान अधिकारों के लिए कल तक इंतजार करना होता है। उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी को अंधेरें में रहने के लिए मजबूर किया जाता है।