खतरे के बावजूद रक्षा अनुसंधान पर कम खर्च करता है भारत, इस समिति ने जताई चिंता
2022-23 के बजट अनुमान में डीआरडीओ ने 22,990 करोड़ रुपये की मांग की है, जबकि किया गया आवंटन 21,330.20 करोड़ रुपये है। इस प्रकार आवंटन में 1659.80 करोड़ रुपये की कमी है।
युद्ध के बढ़ते खतरे की आशंका के बीच भारत रक्षा अनुसंधान और विकास पर खर्च के मामले में चीन और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में काफी पीछे है। भारत की एक स्थायी संसदीय समिति ने बुधवार को रक्षा अनुसंधान पर भारत के खर्च को लेकर चिंता जताई है। यह पिछले पांच वर्षों से स्थिर है और देश के सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत से भी कम है। समिति ने कहा है कि बढ़ते खतरे के बावजूद भारत खर्च करने के मामले में काफी पीछे है। यह रिपोर्ट भारत के संसद में पेश की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, वास्तव में 2016-17 में प्रतिशत 0.088 प्रतिशत था, जो 2020-21 में घटकर 0.083 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है, विश्लेषण में यह चीन जैसे अन्य विकसित देशों की तुलना में बहुत कम पाया गया, जो कि 20 प्रतिशत है। संयुक्त राज्य अमेरिका अनुसंधान एवं विकास पर 12 प्रतिशत खर्च कर रहा है। मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा हित को सर्वोपरि रखना जरूरी है। इसलिए समिति की ओर से सिफारिश की गई है कि रक्षा अनुसंधान के लिए पर्याप्त धन मुहैया कराया जाना चाहिए, जिससे रणनीतिक परियोजनाओं को पूरी ताकत के साथ शुरू किया जा सके।