विचार हमारी प्राणदायिनी धरती कब तक सांप्रदायिकता के उन्माद की भेंट चढ़ती रहेगी! अब नयी पीढ़ी के लिए एक चुनौती है कि वह विश्व की सर्वप्रथम प्रचलित रही मूल संस्कृति एवं अपने पूर्वजों के वास्तविक इतिहास को जानने के लिए समस्त विश्वसनीय तकनीकों का सहारा लेकर विश्व के वास्तविक इतिहास को पुनः खोजें
विचार अमेरिका के विपरीत प्राकृतिक वातावरण में राजस्थान अतुल्य लगा होटल के कमरे को स्वच्छ करने के लिए अफ्रीकन अमेरिकन मूल की एक विशालकाय माताजी आती थीं। उन्हें देखकर मुझे रामायण धारावाहिक में लंका का अभिनय करने वाली कलाकार का चित्र स्मरण हुआ। उनका स्वभाव बहुत अच्छा था, पूरी निष्ठा व शांत भाव से साफ सफाई करती थीं।
विचार अथर्ववेद के मंत्र से मोह को योग से जीतने का यत्न मन का आंगन परिजनों की स्मृति से घिरा रहता था और देह का स्वभाव भारतीय समय के अनुराग को नहीं छोड़ पा रहा था। रात को नींद नहीं आती थी और दिन को जागने का मन नहीं होता था।
विचार विशेष लेखः गुलामी से भरी मानसिकता हमें जड़ों से दूर करती है मैं यह नहीं कहना चाहता कि भारतीयों व अमेरिकियों के अनेक व्यवहार उल्टे हैं, बल्कि यह कहना चाहूंगा कि भारतीयों में अंग्रेजों की ग़ुलामी के बाद जो परिवर्तन आए वे अमेरिका में प्रचलित दैनिक व्यवहारों के विपरीत हो गए।
विचार विशेष लेखः वास्कोडिगामा 'सोने की चिड़िया' भारत को ढूंढ रहा था, क्यों ? इटालियन क्रिस्टोफ़र कोलंबस समृद्ध भारत की खोज करने क्यों निकला, क्या भारत दुनिया के नक़्शे से ग़ायब था? या आर्यावर्त्त के सुखी संपन्न नागरिक लुप्त हो गए थे? इतिहास के पन्नों में ये कैसा मज़ाक लिखा है कि अमेरिका की खोज कोलंबस ने और भारत की खोज वास्कोडिगामा ने की!
विचार विशेष लेखः अमेरिका में पहली बार मिला था योग व संस्कृति शिक्षण का अवसर यह एक संयोग ही था कि अमेरिका में अपने विशेष उद्बोधन के कारण प्रसिद्ध हुए स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को ही थी, जिसे भारत में युवा दिवस या कैरियर्स डे के रूप में मनाया जा रहा था और मेरी अमेरिकी यात्रा के लिए भी यही दिवस तय हुआ।
विचार विशेष लेख: परदेस जाकर भी अपनी पहचान न मिटने दें परदेस में रह कर भी अपने देश के सांस्कृतिक एवं नैतिक मूल्यों को न छोड़ने की सीख मुझे महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश के दशवें समुल्लास से ही मिली। वह कहते थे कि परदेस में रहकर अपने खान-पान व आचरण को नहीं बिगाड़ना चाहिए।
विचार विशेष लेखः यज्ञोपवीत के 3 धागे तीन लोकों के प्रति नैतिक कर्त्तव्य निर्वहन का बोध कराते हैं यज्ञोपवीत धारण करने की परंपरा 2500 वर्ष पहले तक पूरे विश्व में विद्यमान थी तथा अन्य मतावलंबियों की उद्दण्डता के कारण अब यह परंपरा भारत में ही रह गई है। मुझे भारत की संस्कृति का यह चिह्न किसी भी प्रकार के अन्य धार्मिक एवं परवर्ती सभ्यताओं के बाह्य चिह्नों से कमतर नहीं लगता है।
विचार नेटिव इंडियन अमेरिकन्स के पूर्वज भी रखते थे मोटी चोटी या जटा, जानें कारण भारत में उद्दण्ड धनानंद के सम्मुख आचार्य चाणक्य की खुली हुई शिखा जहां वैदिक परंपरा का प्रमाण देती है वहीं एक बुद्धिमान महानायक के माध्यम से चोटी रखने के कारणों को जानने में रुचि भी उत्पन्न करती है।
विचार विशेष लेखः भारत से बढ़कर कुछ नहीं, अनंत ब्रह्म के समान है यह प्राचीनतम देश शाश्वत मूल्यों पर आधारित भारतीय दर्शन सदैव विश्व कल्याण के मोती बिखेरता रहा है।
विचार धरती की रक्षा व किसानों की समृद्धि के लिए खादी का उपयोग विश्व में कृषि विद्या के प्रथम प्रयोक्ता भारतीय किसान ही हैं तथा उन किसानों तक आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए हमें खादी का उपयोग करना चाहिए ।
विचार हमारे शरीर तथा पंचभूतात्मक ब्रह्मांड को संतुलित करने के लिए भी आवश्यक है यज्ञ यज्ञ में ध्वनि विज्ञान, पदार्थ विद्या, पशुपालन विद्या, जल-वायु विद्या, वृष्टि विज्ञान, कृषि-आर्युर्वेद तथा मानसिक चिकित्सा के साथ-साथ आध्यात्मिक शक्ति के रहस्य भी छिपे हुए हैं।
विचार अखिल ब्रह्माण्ड में व्याप्त ध्वनि है ‘ओ३म्’ ‘ओ३म्’ साम्प्रदायिक ध्वनि नहीं, सबके पूर्वज इसे ही गाते थे
विचार किसी भी धरती पर उत्पन्न पहली पीढ़ी को मिलने वाली ज्ञाननिधि हैं वेद वेदों का अध्ययन कर हम लोक-परलोक से संबंधित सभी रहस्यों को समझ सकते हैं।